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जन्म कुंडली के दूसरे अथवा पांचवे भाव में देवगुरु बृहस्पति, बुध, शुक्र युत हो

  • Pawan Dubey
  • Sep 16, 2024
  • 1 min read

जन्म कुंडली के दूसरे अथवा पांचवे भाव में देवगुरु बृहस्पति, बुध, शुक्र युत हो,अथवा दृष्टि संबंध में हो,अर्थात् तीनों ग्रह एक साथ हों,या जहां गुरु दूसरे अथवा पांचवे भाव में बैठे हों, बुध और शुक्र से दृष्ट हों,यह तभी हो सकेगा,जब देवगुरु बृहस्पति द्वितीय भाव में हों,तो अष्टम भाव में शुक्र और बुध हों, और यदि गुरु पांचवे भाव में हों, तो एकादश भाव में शुक्र और बुध हों, यह कला निधि योग है। इस योग में जन्मा जातक बेहद बुद्धिमान, प्रतिभावान, प्रभावशाली व्यक्तित्व का स्वामी, देश-विदेश की यात्रा करने वाला, महा धनवान होता है।

 
 
 

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